मध्य प्रदेश में इंदौर से 55 किमी दूर शिप्रा नदी के तट पर ‘उज्जैन’ (विजय की नगरी) स्थित है. यह भारत के पवित्रतम शहरों तथा मोक्ष प्राप्त करने के लिए पौराणिक मान्यता प्राप्त सात पवित्र या सप्त पुरियों (मोक्ष की नगरी) में से एक माना जाता है. मोक्ष दायिनी अन्य पुरियां (नगर) हैं : अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी (वाराणसी), कांचीपुरम, और द्वारका. पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव ने उज्जैन में ही दानव त्रिपुर का वध किया था. 22 अप्रैल से 21 मई 2016 के बीच उज्जैन के प्राचीन और ऐतिहासिक शहर में कुम्भ आयोजन शुरू होंगे.सिंहस्थ कुम्भ उज्जैन का महान स्नान पर्व है। यह पर्व बारह वर्षों के अंतराल से मनाया जाता है। जब बृहस्पति सिंह राशि में होता है, उस समय सिंहस्थ कुम्भ का पर्व मनाया जाता है।
पवित्र क्षिप्रा नदी में पुण्य स्नान का महात्यम चैत्र मास की पूर्णिमा से प्रारंभ हो जाता हैं और वैशाख मास की पूर्णिमा के अंतिम स्नान तक भिन्न-भिन्न तिथियों में सम्पन्न होता है। उज्जैन के प्रसिद्ध कुम्भ महापर्व के लिए पारम्परिक रूप से दस योग महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं।
पूरे देश में चार स्थानों पर कुम्भ का आयोजन किया जाता है। प्रयाग, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन। उज्जैन में लगने वाले कुम्भ मेलों को सिंहस्थ के नाम से पुकारा जाता है। जब मेष राशि में सूर्य और सिंह राशि में गुरु आ जाता है तब उस समय उज्जैन में महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है, जिसे सिंहस्थ के नाम से देश भर में कहा जाता है।
सिंहस्थ महाकुम्भ के आयोजन की प्राचीन परम्परा है। इसके आयोजन के विषय में अनेक कथाएँ प्रचलित है। समुद्र मंथन में प्राप्त अमृत की बूंदें छलकते समय जिन राशियों में सूर्य, चन्द्र, गुरु की स्थिति के विशिष्ट योग होते हैं, वहीं कुंभ पर्व का इन राशियों में गृहों के संयोग पर ही आयोजन किया जाता है। अमृत कलश की रक्षा में सूर्य, गुरु और चन्द्रमा के विशेष प्रयत्न रहे थे। इसी कारण इन ग्रहों का विशेष महत्त्व रहता है और इन्हीं गृहों की उन विशिष्ट स्थितियों में कुंभ का पर्व मनाने की परम्परा चली आ रही है।
प्रत्येक स्थान पर बारह वर्षों का क्रम एक समान हैं अमृत-कुंभ के लिए स्वर्ग की गणना से बारह दिन तक संघर्ष हुआ था जो धरती के लोगों के लिए बारह वर्ष होते हैं। प्रत्येक स्थान पर कुंभ पर्व कोफ्लिए भिन्न-भिन्न ग्रह सिषाति निश्चित है। उज्जैन के पर्व को लिए सिंह राशि पर बृहस्पति, मेष में सूर्य, तुला राशि का चंद्र आदि ग्रह-योग माने जाते हैं।
महान सांस्कृतिक परम्पराओं के साथ-साथ उज्जैन की गणना पवित्र सप्तपुरियों में की जाती है। महाकालेश्वर मंदिर और पावन क्षिप्रा ने युगों-युगों से असंख्य लोगों को उज्जैन यात्रा के लिए आकर्षित किया। सिंहस्थ महापर्व पर लाखों की संख्या में तीर्थ यात्री और भिन्न-भिन्न सम्प्रदायों के साधु-संत पूरे भारत का एक संक्षिप्त रूप उज्जैन में स्थापित कर देते हैं, जिसे देख कर सहज ही यह जाना जा सकता है कि यह महान राष्ट्र किन अदृश्य प्रेरणाओं की शक्ति से एक सूत्र में बंधा हुआ है। #india #archives #ujjain #bharat#kumbh
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